वसूली प्रमाण पत्र (Recovery Certificate) एक कानूनी दस्तावेज़ होता है जिसे किसी अधिकृत संस्था, जैसे कि बैंक, वित्तीय संस्था या सरकारी विभाग, द्वारा जारी किया जाता है जब कोई उधारकर्ता (loan defaulter) ऋण (loan) चुकाने में विफल रहता है। यह प्रमाण पत्र ऋण की वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति देता है।
वसूली प्रमाण पत्र की पूरी जानकारी:
📌 1. वसूली प्रमाण पत्र क्या है?
यह एक कानूनी आदेश होता है जो कर्जदाता को अपने बकाया ऋण की वसूली के लिए अदालत या अधिकृत प्राधिकरण (जैसे DRT – Debt Recovery Tribunal) से मिलता है।
यह प्रमाणित करता है कि उधारकर्ता पर कितना बकाया है और उसे कानून के अनुसार वसूला जा सकता है।
📌 2. वसूली प्रमाण पत्र कौन जारी करता है?
बैंक या वित्तीय संस्थान जब किसी उधारकर्ता से ऋण वसूल नहीं कर पाते, तो वे मामला ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) में ले जाते हैं।
DRT उधारकर्ता को नोटिस भेजकर सुनवाई करता है। यदि यह सिद्ध हो जाता है कि उधारकर्ता ने ऋण नहीं चुकाया है, तो DRT वसूली प्रमाण पत्र जारी करता है।
📌 3. वसूली प्रमाण पत्र में क्या होता है?
- उधारकर्ता का नाम
- कुल बकाया राशि (मुख्यधन + ब्याज)
- चुकाने की अंतिम तिथि (यदि दी जाए)
- बैंक या संस्था का नाम
- वसूली के आदेश
📌 4. वसूली प्रमाण पत्र मिलने के बाद क्या होता है?
बैंक / संस्था वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर:
- उधारकर्ता की संपत्ति जब्त कर सकती है
- नीलामी (Auction) करवा सकती है
- तनख्वाह या बैंक खाता सीज़ करवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है
📌 5. क्या उधारकर्ता वसूली प्रमाण पत्र को चुनौती दे सकता है?
हाँ, उधारकर्ता DRT के आदेश के खिलाफ DRAT (Debt Recovery Appellate Tribunal) में अपील कर सकता है।
लेकिन अपील के लिए आमतौर पर कुछ प्रतिशत राशि जमा करनी पड़ती है।
📌 6. वसूली प्रमाण पत्र की वैधता (Validity):
आमतौर पर वसूली प्रमाण पत्र की वैधता 12 वर्ष तक होती है।
इस अवधि में वसूली की प्रक्रिया पूरी करनी होती है, अन्यथा प्रमाण पत्र की वैधता समाप्त हो सकती है।
🧾 निष्कर्ष:
वसूली प्रमाण पत्र एक शक्तिशाली कानूनी दस्तावेज है जिससे बैंक या संस्था कर्ज की वसूली के लिए कानूनी बल का उपयोग कर सकती है। यह ऋण न चुकाने वालों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम होता है।